इस दौर का भारत साफ़ साफ़ दो विचारधारों के साथ अपना अक्ष और अक्श दोनों तलाशने लगा है :
(१ )राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक प्रखर राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन है। जिसने हर मौके पर भारत राष्ट्र की अस्मिता के लिए प्राण -प्रण (जी जान ) से काम किया है जिसके सब अपने हैं। अबका भला चाहता है यह संगठन। सनातन परम्पराएं इस जहाज का लंगर हैं ,ऐंकर हैं :
(१ )राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक प्रखर राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन है। जिसने हर मौके पर भारत राष्ट्र की अस्मिता के लिए प्राण -प्रण (जी जान ) से काम किया है जिसके सब अपने हैं। अबका भला चाहता है यह संगठन। सनातन परम्पराएं इस जहाज का लंगर हैं ,ऐंकर हैं :
इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहुरथो स दिव्यो सुपर्णो गरुत्मान् ।
एकं सद्विप्राः बहुधा वदन्ति अग्निं यमं मातरिश्वानमाहुः ॥
Ram Abloh, Hindu, studied Veda (incl. Upanishads), Vedanta, Gita
Answered Oct 30, 2017 · Author has 434 answers and 558k answer views
इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहुरथो स दिव्यो सुपर्णो गरुत्मान् ।
एकं सद्विप्राः बहुधा वदन्ति अग्निं यमं मातरिश्वानमाहुः ॥
“indram mitram varuNamagnimAhuratho sa divyo suparNo garutmAn |
ekam sadviprAh bahudhA vadanti agnim yamam mAtarishvAnamAhuh ||” - RV1.164.46
This verse is frequently misunderstood and misinterpreted.
There are people here who say that this verse rejects the “shameful” and “abhorrent” polytheism attributed to the Vedic religion. This verse proves that the Vedas proclaim that “God is one”. And these people feel so elated and self-assured that they have shown Hinduism has always been a member of the exclusive, “gold” or “diamond” club of monotheistic religions like Judaism, Christianity and Islam.
Such is the extent to which modern-day Hindus’ minds have been brainwashed and ill-informed. They will misinterpret their sacred texts to appeal to other religions, in an ill-calculated effort to gain their approval.
‘Monotheism’ means the adherence to, and worship of, one and only one deity (a person-like entity attributed with superhuman powers), while rejecting other deities, whose existence is nonetheless known. The first of the ten commandments of Moses says to the Israelites to “not have other gods before me”. The one chosen god is the “True God”, and the others are “false gods”, essentially devils. “Jesus is the only savior”, “if you don’t accept Jesus, you will be damned for eternity”. The shahadah of the Muslims says “Laa ilaah ill’al-laah There is no other god (ilaah) than this god (al-ilaah, i.e. “al-laah”)”. So monotheism is more like picking your favorite and dissing the others. The Abrahamic religions don’t say, “all gods are the same” or “god is one”. What they say is “our god is the only true god”.
This is not what the Rig Veda verse means.
The word ‘sat’ (सत्) does not mean “truth”. It means “existence”. The same meaning is seen in the composite “sat-cit-Ananda” (existence-consciousness-bliss). The rishi in deep meditative state realizes that the innermost reality of everything is this cosmic principle of pure and absolute existence, consciousness and bliss.
The verse means each of the deities mentioned in it (and others not mentioned) are fully real and fully equivalent to the spiritual experience of pure existence, consciousness and bliss.
Vedic religion is not a monotheism. It is a spiritual theism. As a consequence, the multiple Vedic gods do not constitute a crude polytheism, but a sophisticated one. In the Rig Veda, the various deities are not competing; they are partners and very often their descriptions and functions overlap and flow into one another. The Niruktam, which explains the meanings of Vedic words, says that the gods are “itaretara janmAnah - इतरेतरजन्मानः” i.e. “born from one another”. There is no older and younger of the gods, and thus they are all equal spiritual beings.
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यहां हिंदुत्व का व्यापक अर्थ है :एक देव को आप मानते हैं तब भी हिन्दू हैं बहुदेव को पूजते हैं तब भी और किसी भी देव को नहीं मानते तब भी आप सनातन परम्परा के ही वारिस हैं।
सभै घट रामु बोलै रामा बोलै ,राम बिना को बोलै रे। (रहाउ )
एकल माटी कुंजर चीटी भाजन हैं बहु नाना रे ,
असथावर जंगम कीट पतंगम घटि घटि रामु सामना रे।
एकल चिंता राखु अनंता अउर तजहु सभ आसा रे।
प्रणवै नामा भए निहकामा को ठाकरु को दासा रे।
( आदिगुरुग्रन्थ साहब से :मालीगउड़ा बाणी भगत नामदेव जी की )
------------- --------
भावसार :सर्व जीवों और शरीरों में परमात्मा व्याप्त है ,उसके अतिरिक्त और वहां कौन बोलता है।
मिट्टी एक ही है ,हाथी से लेकर चींटी तक असंख्य प्रकार के बर्तन उसी से बने हैं। जड़ ,जंगम ,कीट -पतंगों आदि सबमें राम समाया हुआ है।
मुझे अब उस अनंत परमात्मा का ही ध्यान है ,अन्य सब आशाएं मैंने छोड़ दी हैं। संत नामदेव कहते हैं कि वे निष्काम हो गए हैं ,अब स्वामी और दास एक हो गए हैं (अर्थात प्रभु सब जगह व्याप्त हैं ,नामदेव उसी व्याप्ति में लीन हो गए हैं।
विशेष :परमात्मा इस सृष्टि का उपादान कारण (material cause )भी है नैमित्तिक (efficient and or intelligent cause )भी वही है। घड़ा ,मिट्टी और कुम्हार का एकत्व है यहां।
गुरुग्रंथ साहब संतों की वाणी है। ब्रह्म ग्यानी आत्मज्ञानी हैं ये सभी संत। जो जीव और परमात्मा के एकत्व को मानते हैं।ये कायनात और इसको गढ़ने वाला परमात्मा पारब्रह्म परमेश्वर दो नहीं हैं। सृष्टि के कण कण में वही बैठा हुआ है। जीव माया से भ्रमित हुआ इस एकत्व को नहीं देख पाता। जो ब्रह्म को जानलेता है वह फिर ब्रह्म ही हो जाता है।
(२ )दूसरी विचारधारा संघ का दानवीकरण करती है खुद को सेकुलर बतलाती है।
विशेष :आरएसएस देव है या दानव फैसला आप कीजिये
https://www.youtube.com/watch?v=veeND1qeeVA
19:48
Shabad Gurbani
एकल माटी कुंजर चीटी भाजन हैं बहु नाना रे ,
असथावर जंगम कीट पतंगम घटि घटि रामु सामना रे।
एकल चिंता राखु अनंता अउर तजहु सभ आसा रे।
प्रणवै नामा भए निहकामा को ठाकरु को दासा रे।
( आदिगुरुग्रन्थ साहब से :मालीगउड़ा बाणी भगत नामदेव जी की )
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भावसार :सर्व जीवों और शरीरों में परमात्मा व्याप्त है ,उसके अतिरिक्त और वहां कौन बोलता है।
मिट्टी एक ही है ,हाथी से लेकर चींटी तक असंख्य प्रकार के बर्तन उसी से बने हैं। जड़ ,जंगम ,कीट -पतंगों आदि सबमें राम समाया हुआ है।
मुझे अब उस अनंत परमात्मा का ही ध्यान है ,अन्य सब आशाएं मैंने छोड़ दी हैं। संत नामदेव कहते हैं कि वे निष्काम हो गए हैं ,अब स्वामी और दास एक हो गए हैं (अर्थात प्रभु सब जगह व्याप्त हैं ,नामदेव उसी व्याप्ति में लीन हो गए हैं।
विशेष :परमात्मा इस सृष्टि का उपादान कारण (material cause )भी है नैमित्तिक (efficient and or intelligent cause )भी वही है। घड़ा ,मिट्टी और कुम्हार का एकत्व है यहां।
गुरुग्रंथ साहब संतों की वाणी है। ब्रह्म ग्यानी आत्मज्ञानी हैं ये सभी संत। जो जीव और परमात्मा के एकत्व को मानते हैं।ये कायनात और इसको गढ़ने वाला परमात्मा पारब्रह्म परमेश्वर दो नहीं हैं। सृष्टि के कण कण में वही बैठा हुआ है। जीव माया से भ्रमित हुआ इस एकत्व को नहीं देख पाता। जो ब्रह्म को जानलेता है वह फिर ब्रह्म ही हो जाता है।
(२ )दूसरी विचारधारा संघ का दानवीकरण करती है खुद को सेकुलर बतलाती है।
विशेष :आरएसएस देव है या दानव फैसला आप कीजिये
https://www.youtube.com/watch?v=veeND1qeeVA
Sabhye Ghat Ram Bole [Full Song] Hum Nahi Chungey
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