इस दौर का भारत साफ़ साफ़ दो विचारधारों के साथ अपना अक्ष और अक्श दोनों तलाशने लगा है : (१ )राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक प्रखर राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन है। जिसने हर मौके पर भारत राष्ट्र की अस्मिता के लिए प्राण -प्रण (जी जान ) से काम किया है जिसके सब अपने हैं। अबका भला चाहता है यह संगठन। सनातन परम्पराएं इस जहाज का लंगर हैं ,ऐंकर हैं : इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहुरथो स दिव्यो सुपर्णो गरुत्मान् । एकं सद्विप्राः बहुधा वदन्ति अग्निं यमं मातरिश्वानमाहुः ॥ Ram Abloh , Hindu, studied Veda (incl. Upanishads), Vedanta, Gita Answered Oct 30, 2017 · Author has 434 answers and 558k answer views इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहुरथो स दिव्यो सुपर्णो गरुत्मान् । एकं सद्विप्राः बहुधा वदन्ति अग्निं यमं मातरिश्वानमाहुः ॥ “ indram mitram varuNamagnimAhuratho sa divyo suparNo garutmAn | ekam sadviprAh bahudhA vadanti agnim yamam mAtarishvAnamAhuh ||” - RV1.164.46 This verse is frequently misunde...