इतालवी पराठा हो या पिज़्ज़ा ,पास्ता हो या कोई और इतालवी खाद्य बेहद स्वादु होता है मगर ठहरिये -देखिये ये कैसे अनाज का बना है मोटे या परिष्कृत ,होल ग्रेन इस्तेमाल हुआ है इसका क्रस्ट ,ललचाऊ बाहरी आवरण तैयार करने में या फिर परिष्कृत। नथुनों में भर जाती है इसकी महक और खूशबूएं लेकिन यह आपके हाथ में है : आप कितना पोर्शन खाते हैं। कैसा क्रस्ट खाते हैं -एक चौथाई ,या आठवां हिस्सा फुल साइज़ पिज़ा का ,थिन क्रस्ट का आर्डर देते हैं या थिक का ,कितनी और कैसी चटनी और लाल मिर्ची का इस्तेमाल करते हैं। रेड चिली फ्लेक्स मेटाबोलिस्म को अपचयन की दर को बढ़ा देती है। टमाटर की चटनी (सॉस )पौरुष ग्रंथि के कैंसे के खतरे को काम कर सकती है। पौष्टिक पिज़्ज़ा यदि अल्पांश में ही खाया जाए इसके साथ पैकेज के चक्क्रों से कोला पेयों से बचा जाए तब यह दिल और दिमाग के लिए आघात के खतरों के वजन को कम भी कर सकता है। ऐसा होगा तभी जब आप खाद्य रेशों से भर-पूर होल ग्रेन क्रस्ट का ही आर्डर देंगें। ये रेशे आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त रखेंगे ,आवश्यक रेशों की उपलब्धि जीवन शैली रोग मधुमेह के खतरे के वजह को भी कम करेगी ।चीज़ की ब
माननीय दुर्गा दास उस दौर के मशहूर और पेशे को समर्पित साख वाले पत्रकार थे जो न सिर्फ पूरे पचास बरसों तक पत्रकारिता को एक मिशन के रूप में लेते रहे १९२०, १९३० , १९४० आदिक दशकों के संघर्षों के एक सशक्त और निष्पक्ष पत्रकार के रूप में जाने गए हैं। आज़ादी के पूरे आंदोलन की आपने निष्पक्ष रिपोर्टिंग की है.बारीकबीनी की है हर घटना की। आपकी बेहद चर्चित किताब रही है :INDIA from CURZON to NEHRU and AFTER यह बहुचर्चित किताब आज भी ब्रिटिश सेंट्रल लाइब्रेरी ,नै दिल्ली ,में सम्भवतया उपलब्ध है। संदर्भ सामग्री के रूप में इस किताब को अनेक बार उद्धरित किया गया है आज़ादी के लम्बे आंदोलन से जुडी बारीकबीनी इस प्रामाणिक किताब में हासिल है। इसी किताब से सिलसिलेवार जानकारी आपके लिए हम लाये हैं : १९४० :भारत को पंद्रह अगस्त १९४७ को मिलने वाली आज़ादी का निर्णय ब्रितानी हुक्मरानों ने ले लिया था इस बरस. लार्ड माउंटबेटन को अंतिम वायसराय के रूप में भारत इसी निमित्त भेजा गया था ताकि सत्तांतरण शांति पूर्वक हो सके। १९४६ :इस बरस भारत में एक अंतरिम सरकार बनाने का फैसला लिया गया। माँउंटबेटन के मातहत कार्यरत डि